पहले तो वो पीछा नहीं छोड़ते
बाद में फिर कहीं का नहीं छोड़ते।
उन्हें अखबार पढना न आया मगर
हाले दुनिया सुनाना नहीं छोड़ते।
मजबूर हैं आदत से अपनी बहुत
कभी बातें बनाना नहीं छोड़ते।
शोहरत का नशा है इतना उन्हें
वो मसीहा कहलाना नहीं छोड़ते।
किसी मोड़ पर मिल जाएँ अगर
फिर रस्ते बताना नहीं छोड़ते।
Friday, August 26, 2011
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