नियम तो बन गया अब लागू कैसे होगा
बिगड़ा हुआ है जो वह साधू कैसे होगा ।
सोच कर यह भी तो परेशान हैं सब
जो सीधा है बहुत वह चालू कैसे होगा ।
उम्मीदों की जो बारात सजाये बैठे हैं
उनका बढ़ता गुस्सा काबू कैसे होगा ।
सन्नाटा चीख चीख कर परेशान है
लहरों का शोर आखिर काबू कैसे होगा ।
किताबों में ही पढ़ा है बच्चों ने अब तक
पता नहीं नाचता वह भालू कैसे होगा ।
संस्कारों में पला है जो शुरू से ही
बड़ा होकर वह चोर डाकू कैसे होगा ।
नसीहतें तो हर कोई दे देता है मगर
जीवन में सब कुछ लागू कैसे होगा ।
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बढ़िया है.
ReplyDeleteक्या आपने हिंदी ब्लॉग संकलक हमारीवाणी पर अपना ब्लॉग पंजीकृत किया है?
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