Saturday, June 26, 2010

बेमिसाल होता है

हुस्न कभी सर-ता-पा कमाल होता है
सुर्ख होठों पर तिल बेमिसाल होता है ।
असीम सुन्दरता की मूरत है तू , तुझे
उर्वशी कहूं या वीनस सवाल होता है ।
लज्जत है कशिश है नखरें हैं बहुत
हुस्न खुद पर ही निहाल होता है ।
मौज में आया हुआ समुंदर है तू
तुझे देखकर आइना बेहाल होता है ।
दिल उलझ कर रह जाते हैं जिसमे
हुस्न ऐसा खुबसूरत जाल होता है ।
तारीफ में लफ्ज़ भी ढूंढें नहीं मिलते
ग़ज़ल से अच्छा तेरा गजाल होता है।

1 comment: