तिरोहे ---- तीन मिसरी शायरी
वह जो पडोस में उम्र दराज रहता है
इश्क़ का उसने एक शज़र लगाया है
अंधेरे में उम्मीद का दिया जलाया है
इश्क़ का उसने एक शज़र लगाया है
अंधेरे में उम्मीद का दिया जलाया है
जिसको आज तक भी समझ न पाए
रेशम पहन कर आज व इतराया है
जूनून ए इश्क़ सर पर उतर आया है
रेशम पहन कर आज व इतराया है
जूनून ए इश्क़ सर पर उतर आया है
जब भी परखा मैंने चाल चलन अपना
चेहरे पर न हमने कोई धब्बा पाया है
आइने ने भी हमेशा साफ बतलाया है
चेहरे पर न हमने कोई धब्बा पाया है
आइने ने भी हमेशा साफ बतलाया है
लोग तो गिने गिनाए आए महफिल में
एक तू ही है जो बिना बुलाए आया है
आते ही तूने अपना जलवा दिखाया है
एक तू ही है जो बिना बुलाए आया है
आते ही तूने अपना जलवा दिखाया है
तोहमतें जिल्ल्तें और गलतफहमियां
वह सारे दरिया खंगाल कर आया है
दर्द को तो हमेशा गले से लगाया है
शज़र - पेड़
-------- डॉ सत्येन्द्र गुप्ता
वह सारे दरिया खंगाल कर आया है
दर्द को तो हमेशा गले से लगाया है
शज़र - पेड़
-------- डॉ सत्येन्द्र गुप्ता