यूं क्यों तुझसे हम दूर हुए
तन्हाइयों का दस्तूर हुए।
बेबसी की हद इतनी थी
मिलने से भी मज़बूर हुए।
कईं चाँद सूरज निकले थे
हम ही मगर बे नूर हुए।
पत्थरों के शहर में रहकर
हम ज़ख़्मों से भी चूर हुए।
बाद मरने के दुआ लगी थी
तभी तो हम मशहूर हुए।
मुझको मेरा खुदा न मिला
नाहक ही हम मगरूर हुए।
साक़ी तेरे मैखाने में आज
आकर हम भी मसरूर हुए।
मसरूर - खुश
------- सत्येंद्र गुप्ता
तन्हाइयों का दस्तूर हुए।
बेबसी की हद इतनी थी
मिलने से भी मज़बूर हुए।
कईं चाँद सूरज निकले थे
हम ही मगर बे नूर हुए।
पत्थरों के शहर में रहकर
हम ज़ख़्मों से भी चूर हुए।
बाद मरने के दुआ लगी थी
तभी तो हम मशहूर हुए।
मुझको मेरा खुदा न मिला
नाहक ही हम मगरूर हुए।
साक़ी तेरे मैखाने में आज
आकर हम भी मसरूर हुए।
मसरूर - खुश
------- सत्येंद्र गुप्ता
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