Saturday, February 18, 2017

अपनी बेबाकी से ड़र लगता है
दिल की मनमानी से ड़र लगता है
जिंदगी तुझसे शिकवा नहींं कोई
मौत की दावेदारी से ड़र लगता है
मुद्दत बाद मिले हैंं फुरसत से हम
वक्त की मेहरबानी से ड़र लगता है
कईं पागल हो गए जुनूने इश्क़ में
इश्क़ की वफादारी से ड़र लगता है
मैं अपनी रजा भी न बता पाया
मुझे अपनी खुद्दारी से ड़र लगता है
मेरी अमानत संभाल कर रखना
 मुझको निगहबानी से ड़र लगता है
ख्वाहिशें ही बांझ रह गई सारी
अब आंगन खाली से ड़र लगता है
बेबाकी - साफ कहना
निगहबानी - देखरेख

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