Wednesday, January 18, 2017

इस नजाकत से उसने नाम मेरा लिया
नूर मुहब्बत का  मुझ पर बरसा दिया
मैं झिझकता रहा उसने हाथ थाम मेरा
इश्क़ से मेरा भी तआर्रूफ करा दिया
मदमाती नज़रों से मुझे देखा इस कदर
नशे का मुझको भी तो आदी बना दिया
विसाले शब जुबां से कुछ भी नहींं कहा
सासों को खुशबू से अपनी महका दिया
मुहब्बत कहते हैंं रंगत ही बदल देती है
उम्र हो चली थी मुझको जवां बना दिया
कितना हसीं राग था वह सात सुरों का 
दिल को मुहब्बत का रस्ता दिखा दिया
विसाले शब -मिलन की रात
तआर्रूफ - परिचय
-------सत्येंद्र गुप्ता

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