यादों का हमने शहर बसा रखा है
तनहाईयों में तहलका मचा रखा है
तनहाईयों में तहलका मचा रखा है
उनका दर्द सीने से लगा कर अपने
हमने उनसे तआल्लुक बना रखा है
हमने उनसे तआल्लुक बना रखा है
तनहाईयां ही कहीं बगावत न कर दें
खुशबूओं को भी हमने बुला रखा है
खुशबूओं को भी हमने बुला रखा है
यह इश्क़ कहीं बदनाम न हो जाए
दिल के दर्द को ही दवा बना रखा है
दिल के दर्द को ही दवा बना रखा है
किसी ने जख्म दिया किसी ने फूल
सब को मैंने करीने से सजा रखा है
सब को मैंने करीने से सजा रखा है
जिंदगी शर्तो पर भी नही जी जाती
चिराग तूफान में भी जला रखा है
चिराग तूफान में भी जला रखा है
मेरे दर्द को गजल मत समझ दोस्त
मैंने तो बस काफिया मिला रखा है
------सत्येंद्र गुप्ता
मैंने तो बस काफिया मिला रखा है
------सत्येंद्र गुप्ता
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