खुशबू बनकर बिखरना चाहता हूँ
मेरी सादगी देख मैं क्या चाहता हूँ
लुभाता है चाँद जो मुझ को दूर से
दिल में उसके धड़कना चाहता हूँ।
ना नहीं कहना आया कभी मुझको
मैं हर दिल में बना रहना चाहता हूँ।
बहुत भाती हैं यह बारिशें मुझ को
उन की बाहों में भीगना चाहता हूँ।
मेरी बात ध्यान से न सुनी उन्होंने
उन्होंने सोचा मैं ख़ूबहा चाहता हूँ।
सच तो इतना सा ही भर है कि बस
मैं तो अब हद से गुज़रना चाहता हूँ.
खूबहा - पारिश्रमिक
मेरी सादगी देख मैं क्या चाहता हूँ
लुभाता है चाँद जो मुझ को दूर से
दिल में उसके धड़कना चाहता हूँ।
ना नहीं कहना आया कभी मुझको
मैं हर दिल में बना रहना चाहता हूँ।
बहुत भाती हैं यह बारिशें मुझ को
उन की बाहों में भीगना चाहता हूँ।
मेरी बात ध्यान से न सुनी उन्होंने
उन्होंने सोचा मैं ख़ूबहा चाहता हूँ।
सच तो इतना सा ही भर है कि बस
मैं तो अब हद से गुज़रना चाहता हूँ.
खूबहा - पारिश्रमिक
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