Saturday, February 16, 2013

जाड़ा जाता नहीं, वसंत मनाए कैसे
अचानक फ़लक़ पे बादल छाए कैसे !
गुलिस्तां पर जैसे कोई बला आ गई
त्यौहार वसंत का, दिल मनाए कैसे !
वसंत, अंतर के उजास का उत्सव है
सूरज बेहद उदास है, गीत गाए कैसे !
मौसम में भी मिलावट हो गई अब
मधुमास ठंड को गले से लगाए कैसे !
मादकता का आलम दिल में भरा है
वो मस्ती वो उल्लास पर छाए कैसे !
आसमान भीग रहा है सुबह से ही
वसंत , वसंत में पतंगे उड़ाए कैसे !

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