मेरे बाद मुझको ये ज़माना ढूंढेगा
हकीकत को एक अफ़साना ढूंढेगा।
सिर्फ यादों में सिमट जायेगा सफ़र
अश्क भी बहने का बहाना ढूंढेगा।
खत्म हो जायेगी कहानी जब मेरी
मेरा ही दर्द अपना ठिकाना ढूंढेगा।
सुबहें, शामें, रातें कितनी हसीं थी
सूनापन वो खिलखिलाना ढूंढेगा।
मुहब्बत करने वाले तन्हा नहीं रहते
इन लम्हों को मेरे हर दीवाना ढूंढेगा।
Friday, August 3, 2012
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