Friday, August 10, 2012

लोग उन्हें चाँद समझ कर देखते हैं
हम उन को जी भर कर देखते हैं।
उन आँखों मे हम जब भी देखते हैं
कुछ पल उनमे उतर कर देखते हैं।
खूबसूरती तो दिल की रौशनी है
हम उसे उनके बदन पर देखते हैं।
इतराने लगते हैं ख़ुद पर बहुत वो
सब उन्हें जब इस क़दर देखते हैं।
वो खुशबु हैं, ख्वाब हैं या ख़ुदा हैं
सब उन को ठहर कर देखते हैं।
सिफ़त साक़ी में है या पैमाने में
हम ये आँखों में डूब कर देखते हैं।


No comments:

Post a Comment