हर हाल ही में दिल तो लगाना पड़ेगा
मौसम को भी अब तो मनाना पड़ेगा।
कहीं और बरस रहे हैं , बादल हमारे
लगता है , उनको तो बुलाना पड़ेगा।
आखिर कब तलक रहेंगे ,अकेले हम
कभी तो साथ हमें भी निभाना पड़ेगा।
मुहब्बत की कशिश बड़ी ही अज़ब है
दिल को तो बंजारा ही बनाना पड़ेगा।
ख़ार की तरह चुभती हैं मखमली बातें
उन से दामन को तो छुड़ाना पड़ेगा।
अगर कभी लिखना चाहो हाल हमारा
हर दर्द ,तुम्हे गले से लगाना पड़ेगा।
Monday, July 2, 2012
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