Thursday, July 19, 2012

शहर में आये हुए ज़माने हो गये
फूल से बच्चे बड़े सयाने हो गये।
पुरानी बातों में दिलचस्पी न रही
रिश्ते नाते सभी अफ़साने हो गये।
कंचे, गिल्ली -डंडे व पतंगे उड़ाना
वे खेलने के तौर भी पुराने हो गये।
स्पायडरमेन ,डोरामोन छोटा भीम के
कम्पुटर के बच्चे बड़े दीवाने हो गये।
हरकतें बच्चों की समझ नहीं आती
नए तरह के जीने के बहाने हो गये।
टाईट जींस,टीशर्ट और मिनी स्कर्ट
हमतोपुराने कपड़ों से पुराने हो गये।










Monday, July 16, 2012

शख्श जिसका कौल ओ क़रार नहीं होता
कभी भी वो क़ाबिले- ऐतबार नहीं होता।
दर पर जब तलक कोई आहट नहीं होती
दिल भी तब तलक खबरदार नहीं होता।
प्यास रफ़्ता रफ़्ता ही तो बढ़ा करती है
ज़ुनून एकदम सर पर सवार नहीं होता।
ज़मीर बेचकर बहुत ख़ुश हो रहा था वो
कहता था कि गाँव में बाज़ार नहीं होता।
वार पर वार ख़ुदा तो करता ही रहता है
किसी को भी मगर इनकार नहीं होता।
अफवाहें भी तो सदा उडती ही रहती हैं
हक़ीक़त से मैं, कभी बेज़ार नहीं होता।
उदास तो मैं था पर इतना भी नहीं था
कि जश्न मेरा ही शानदार नहीं होता।
उम्र गुज़र गई थी सारी, सोचते यही
किस दिल में छिपा ग़ुबार नहीं होता।









Tuesday, July 3, 2012

दिल बहुत खुबसूरत हो गया है अब
चाँद की ही सूरत ,हो गया है अब।
बला का निख़ार आया है , उस में
हर दिल की चाहत हो गया है अब।
परेशान रहता था कभी था अकेला
बड़ा ख़ुश सोहबत हो गया है अब।
इशारे से बुलाने लगी हैं ,खुशबुएँ
उन की भी ज़रूरत हो गया है अब।
देख के ता उम्र खुश रह सके जिसे
ख्वाहिशों की आदत हो गया है अब।
किसी के तो हाथ उठे होंगे, दुआ को
करिश्मा बिना शर्त हो गया है अब।



Monday, July 2, 2012

हर हाल ही में दिल तो लगाना पड़ेगा
मौसम को भी अब तो मनाना पड़ेगा।
कहीं और बरस रहे हैं , बादल हमारे
लगता है , उनको तो बुलाना पड़ेगा।
आखिर कब तलक रहेंगे ,अकेले हम
कभी तो साथ हमें भी निभाना पड़ेगा।
मुहब्बत की कशिश बड़ी ही अज़ब है
दिल को तो बंजारा ही बनाना पड़ेगा।
ख़ार की तरह चुभती हैं मखमली बातें
उन से दामन को तो छुड़ाना पड़ेगा।
अगर कभी लिखना चाहो हाल हमारा
हर दर्द ,तुम्हे गले से लगाना पड़ेगा।
सूख चुकी आँख में ,अब ठहरता नहीं पानी
एक आंसू दे दो तो ,रिमझिम बरस जाएगी।
बिना बरसे बिखर गये, अब्र के टुकड़े अगर
मिट्टी की सोंधी महक को धरती तरस जाएगी।
हरे भरे खेत पर अगर, पाला पड़ गया रात में
ठंडी आहें भरकर फसलें सारी झुलस जायेंगी।
उबासी लेता सूरज ,कुहरे में छिप गया अगर
निकल नहीं पाया तो सुबह ही अलस जायेगी।
सुलगती धूप के माथे ,बहता रहा पसीना अगर
शाम के तपते हुए सीने में ठहर उमस जायेगी।
छुट जाती आदत, शराब पीने की हमारी भी तो
अगर जान जाते ,ज़िन्दगी यूँ ही झुलस जायेगी।