Sunday, September 4, 2011

हवा के ठंडे झोंके से बरसात नहीं होती
हर रात जश्न की भी रात नहीं होती।
गर्दिश के दिन घिर आते हैं जब भी
अच्छे दिनों से फिर बात नहीं होती।
सन्नाटों की जिस बस्ती में हम रहते हैं
वहां कभी सुबह कभी रात नहीं होती।
हस्ती ग़म की खैरात में नहीं मिलती
भले ही इसकी कोई औकात नहीं होती।
जिंदगी जल्दबाजी में कटती जाती है
अच्छे से इसकी खिदमात नहीं होती।
कुछ चेहरे ज़हन में सदा नक्श रहते हैं
भले ही उनसे मुलाक़ात नहीं होती।
बहुत सिरफिरा हूँ मैं यह लोग कहते हैं
कहने को जब उन पे कोई बात नहीं होती।





1 comment:

  1. गर्दिश के दिन घिर आते हैं जब भी
    अच्छे दिनों से फिर बात नहीं होती।

    बहुत ही प्रभावी प्रस्तुति ||
    सादर अभिनन्दन ||

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