कौन कहता है बेवक्त मर जाऊँगा
काम बहुत है वक़्त से घर जाऊँगा।
घड़ी तो निश्चित है मौत की ,आनी है
काम कर के कुछ नाम कर जाऊँगा ।
बड़ी उमीदों से जला दिया हूँ
जलते जलते सुबह कर जाऊँगा।
राह का चलता मुसाफिर हूँ
मील का हर पत्थर पार कर जाऊँगा।
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