दिल जलाकर उजाला कर लेते हैं
हम कमी में भी गुज़ारा कर लेते हैं
घर में तो बैठी रहती हैं उदासियाँ
खुश रहने का दिखावा कर लेते हैं
अपनी तन्हाई का एहसास नहीं है
दूसरों का गम तमाशा कर लेते हैं
नफ़े नुक़सान की परवाह न कर
हम भी जोड़ घटाना कर लेते हैं
पडोसी हमारा चैन से रह सके
अपने दर्द में इज़ाफ़ा कर लेते हैं
ज़िंदगी मेहरबान होती है जब भी
उससे एक नया वादा कर लेते हैं
बड़ी ख़ुशी पाने की उम्मीद में ही
छोटी खुशी से किनारा कर लेते हैं
------- सत्येंद्र गुप्ता
हम कमी में भी गुज़ारा कर लेते हैं
घर में तो बैठी रहती हैं उदासियाँ
खुश रहने का दिखावा कर लेते हैं
अपनी तन्हाई का एहसास नहीं है
दूसरों का गम तमाशा कर लेते हैं
नफ़े नुक़सान की परवाह न कर
हम भी जोड़ घटाना कर लेते हैं
पडोसी हमारा चैन से रह सके
अपने दर्द में इज़ाफ़ा कर लेते हैं
ज़िंदगी मेहरबान होती है जब भी
उससे एक नया वादा कर लेते हैं
बड़ी ख़ुशी पाने की उम्मीद में ही
छोटी खुशी से किनारा कर लेते हैं
------- सत्येंद्र गुप्ता
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