जिंदगी की किताब में क्या लिखा है
न ही तुझे पता है न ही मुझे पता है
न ही तुझे पता है न ही मुझे पता है
सांसें भी हर वक़्त दम तोड़ रही हैं
जाने किस जुर्म की मिलती सजा है
जाने किस जुर्म की मिलती सजा है
बड़ी शान से रहता है दर्द दिल में
कहते हैं इसका रक्बा भी बड़ा है
कहते हैं इसका रक्बा भी बड़ा है
ख़ुशी आई थी कुछ पलों के लिए
उसने मुंह दिखाई में लिया क्या है
उसने मुंह दिखाई में लिया क्या है
उसकीआदत में शुमार है खामोशी
लगता है किसी बोझ तले दबा है
लगता है किसी बोझ तले दबा है
सबका अपना अपना ही हिसाब है
कहीं इब्दिता है तो कहीं इन्तिहा है
कहीं इब्दिता है तो कहीं इन्तिहा है
जिसने जाना था वह तो चला गया
अपनी मुहब्बत भी साथ ले गया है
अपनी मुहब्बत भी साथ ले गया है