वक़्त जब यह गुज़र जाएगा
लम्हा जाने ये किधर जाएगा।
यक़ीन क्या इन हवाओं का
नशा तो नशा है उतर जाएगा।
दवा की अब ज़रूरत न रही
ज़ख़्म पुराना है भर जाएगा।
दरीचा खुला न कोई अगर
दर्द अंदर से तन्हा कर जाएगा।
इस दस्तूर से वाक़िफ़ हैं सब
आया है जो लौट कर जाएगा।
चराग़ रोशन लिए हाथ में
कौन ख़ुद की क़ब्र पर जाएगा।
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