आज़कल पिछले दस दिनों से मैं सपत्नी बैंगलोर अपने बड़े बेटे
बहू और बच्चों के पास आया हुआ हूँ ,यहाँ का मौसम लाजवाब है
तरसेंगे ऐसे मौसम को हम
याद आएंगे लम्हे ये हरदम
आँख खुलेगी जब रातों में
ढूँढा करेंगे ख़ुद को ही हम।
बहू और बच्चों के पास आया हुआ हूँ ,यहाँ का मौसम लाजवाब है
तरसेंगे ऐसे मौसम को हम
याद आएंगे लम्हे ये हरदम
आँख खुलेगी जब रातों में
ढूँढा करेंगे ख़ुद को ही हम।
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