खुलकर हँसे हुए इक ज़माना हो गया
दर्द ही अब तो आबो- दाना हो गया।
हवा नहीं आती अब घर के अन्दर
भले ही मौसम बड़ा सुहाना हो गया।
ग़फ़लत में सच निकल गया मुंह से
मुक़ाबिल सारा ही ज़माना हो गया।
फ़िदा था मेरी वो हर एक बात पर
किस्सा ही अब तो पुराना हो गया।
मांग ली उसने तस्वीरें अपनी सब
ख़त्म उनसे मिलना मिलाना हो गया।
नापी है मैंने दर्द की गहराई हाथ से
हद से ज़्यादा उसका ठिकाना हो गया
वो दिल बुझ गया जिस पर गुमान था
दिल ज़ख्मों का ताना बाना हो गया।
दर्द ही अब तो आबो- दाना हो गया।
हवा नहीं आती अब घर के अन्दर
भले ही मौसम बड़ा सुहाना हो गया।
ग़फ़लत में सच निकल गया मुंह से
मुक़ाबिल सारा ही ज़माना हो गया।
फ़िदा था मेरी वो हर एक बात पर
किस्सा ही अब तो पुराना हो गया।
मांग ली उसने तस्वीरें अपनी सब
ख़त्म उनसे मिलना मिलाना हो गया।
नापी है मैंने दर्द की गहराई हाथ से
हद से ज़्यादा उसका ठिकाना हो गया
वो दिल बुझ गया जिस पर गुमान था
दिल ज़ख्मों का ताना बाना हो गया।
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