उनके तेवरों से मौसम ए हाल जान लेते हैं
क्या है दिल में उन के हम पहचान लेते हैं।
आँखों में कुछ, दिल में कुछ, ज़ुबां पे कुछ
इतनी शिद्दत से मेरी तो वह जान लेते हैं।
गुज़र जाती हैं सर पर से मेरे क़यामते इतनी
जब रूठने की मुझ से दिल में ठान लेते हैं।
नखरे हैं उन में और नज़ाकतें भी हैं इतनी
अदा से मेरे सब्र का वह इम्तिहान लेते हैं।
डूबने को होता हूं जब भी आँखों में उनकी
आदतन वह चेहरे पर दुपटटा तान लेते हैं।
देख कर के उन की अदाओं के सिलसिले
ज़िंदगी तो ज़िंदा दिली है, हम मान लेते हैं।
लौ लग जाती है उससे इस दिल की जब
मीरा तड़पती है तो कृष्णा भी जान लेते हैं।
क्या है दिल में उन के हम पहचान लेते हैं।
आँखों में कुछ, दिल में कुछ, ज़ुबां पे कुछ
इतनी शिद्दत से मेरी तो वह जान लेते हैं।
गुज़र जाती हैं सर पर से मेरे क़यामते इतनी
जब रूठने की मुझ से दिल में ठान लेते हैं।
नखरे हैं उन में और नज़ाकतें भी हैं इतनी
अदा से मेरे सब्र का वह इम्तिहान लेते हैं।
डूबने को होता हूं जब भी आँखों में उनकी
आदतन वह चेहरे पर दुपटटा तान लेते हैं।
देख कर के उन की अदाओं के सिलसिले
ज़िंदगी तो ज़िंदा दिली है, हम मान लेते हैं।
लौ लग जाती है उससे इस दिल की जब
मीरा तड़पती है तो कृष्णा भी जान लेते हैं।