आइने ने बहुत ख़ूबसूरत लगने की गवाही दी थी
कोई मुझे देखा करे मैंने किसी को हक़ ये न दिया।
कभी वक़्त रहते इन तन्हाइयों का अंदाज़ न हुआ
मेरे ग़ुरूर ने ही मुझे किसी आँख में रहने न दिया।
रह रह कर के कईं सिलसिले याद आ रहे हैं आज
क़ाश भूले से ही किसी महफ़िल में रह लिए होते।
आज वक़्त ही वक़्त है,जो काटे से भी नहीं कटता
कभी मोहलत ले, किसी को अपना कह लिए होते।
कोई मुझे देखा करे मैंने किसी को हक़ ये न दिया।
कभी वक़्त रहते इन तन्हाइयों का अंदाज़ न हुआ
मेरे ग़ुरूर ने ही मुझे किसी आँख में रहने न दिया।
रह रह कर के कईं सिलसिले याद आ रहे हैं आज
क़ाश भूले से ही किसी महफ़िल में रह लिए होते।
आज वक़्त ही वक़्त है,जो काटे से भी नहीं कटता
कभी मोहलत ले, किसी को अपना कह लिए होते।
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