Friday, January 31, 2014

मुक़रर है  दिन  मौत का तो  एक
वक़्त न कभी भी वो टला करता है।
पता है  मौत ने आना है एक दिन
अपना क़फ़न कौन सिला करता है। 

Monday, January 20, 2014

आइने ने बहुत  ख़ूबसूरत लगने की गवाही दी थी
कोई मुझे देखा करे मैंने किसी को हक़ ये न दिया।
कभी वक़्त रहते इन तन्हाइयों का अंदाज़ न हुआ
मेरे ग़ुरूर ने ही मुझे किसी आँख में रहने न दिया।
रह रह कर के  कईं सिलसिले याद आ रहे हैं आज
क़ाश भूले से ही  किसी महफ़िल में रह लिए होते।
आज वक़्त ही वक़्त है,जो काटे से भी नहीं कटता
कभी मोहलत ले, किसी को अपना कह लिए होते।
 

Saturday, January 18, 2014

यारियां  निभाने का वक़्त न मिला
सिलसिले बनाने का वक़्त न मिला।
भाग दौड़ में ही गुज़र गई ज़िन्दगी
ज़रा सा सुस्ताने का वक़्त न मिला।
वक़्त जो कटना था वो भी कट गया
दिल को रिझाने का वक़्त न मिला।
जिससे जीते हार भी उसीसे मान ली
हाले-दिल सुनाने का वक़्त न मिला।
ज़रा सी बात पर ही जो  रूठ गये थे
फिर उन्हें मनाने का वक़्त न मिला।
दिल की दिवार पर गम कि सीलन है
कभी धूप दिखाने का वक़्त न मिला।
तस्वीर तो बना ली थी हमने कब की
 फ्रेम में ही सजाने का वक़्त न मिला।
कोई दौर तो आये, मैं ज़िन्दा रह सकूँ
कभी रस्में निभाने का वक़्त न मिला।
आइना हूँ मैं, आइना ही रहूंगा हमेशा
इतना भी  बताने का  वक़्त न मिला। 
 

Sunday, January 5, 2014

अगर किसी का अच्छा मैं करता नहीं  हूँ
तो किसी का  बुरा भी  मैं  करता नहीं हूँ।
मैं समय हूँ ,मैं सब ही के साथ चलता हूँ
किसी के कहने पर बस मैं रुकता नहीं हूँ।
लालच, ईर्ष्या, द्वेष ,छल ,कपट या झूठ
किसी से  कभी मैं ,वास्ता रखता नहीं हूँ।
मैं  नफ़ा- नुक़सान  जैसे शब्दों से परे  हूँ
सर्दी ,गर्मी ,बारिश से भी  डरता नहीं हूँ ।
वो कहते हैं कि  समय ख़राब चल रहा है
मुक़द्दर किसी का मैं पर बदलता नहीं हूँ।
ऐ दुनिया वालों मुझको कोई दोष न दो
मैं किसी से भी लेना देना रखता नहीं हूँ।