Sunday, July 31, 2011

दौरे-उल्फत की हर बात याद है मुझे
तुझसे हुई वह मुलाकात याद है मुझे।
बरसते पानी में हुस्न का धुल जाना
दहकी हुई वह बरसात याद है मुझे।
तेरा संवरना उसपे ढलका आंचल
संवरी बिखरी सी हयात याद है मुझे।
सर्द कमरे में गर्म साँसों की महक
हसीं लम्हों की सौगात याद है मुझे।
दिल में उतरके रहने की तेरी वो ज़िद
ह्या में डूबी रेशमी रात याद है मुझे।

तेरी आँखों की मुस्कराती तहरीर
दिल लुभाती हर बात याद है मुझे।



1 comment:

  1. बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आपने!
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    आज पूरे 36 घंटे बाद ब्लॉग पर आया हूँ!
    धीरे-धीरे सब जगह पहुँच जाऊँगा!

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