Wednesday, July 6, 2011

मैं प्यार की इबारत लिख देता
अगर खुशबू की सूरत देख लेता।
मुहब्बत दर पर ही भटकती मेरे
जो चेहरा वो खुबसूरत देख लेता।
मेरा ख्वाब-गह दूधिया हो जाता
उन आँखों की शरारत देख लेता।
वो हंसी वो मिटटी सने पाँव उसके
उन में अपनी किस्मत देख लेता।
रात भर गलियों में न भटकता
अगर वो मेरी चाहत देख लेता।
नज़रों से नजरें यदि मिल जाती
मेरी आँखों की वहशत देख लेता।
मेरा बदन भी गुलाब हो जाता
एक नज़र मुझे वसंत देख लेता।
सारे खुबसूरत लफ्ज़ लिख देता
दिल को यदि सलामत देख लेता।

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