तिरोही गज़ल
कोई खूबसूरत सा शहर देख लेते
या दिल का मेरा ये नगर देख लेते
मुझे अपनी खुशबू में तर देख लेते
कोई खूबसूरत सा शहर देख लेते
या दिल का मेरा ये नगर देख लेते
मुझे अपनी खुशबू में तर देख लेते
होश में रहकर के इश्क नहीं होता
दिल में मेरे तुम उतर कर देख लेते
अपनी मुहब्बत का असर देख लेते
दिल में मेरे तुम उतर कर देख लेते
अपनी मुहब्बत का असर देख लेते
सुकून इतना मिलता न दैरो हरम में
सुकून मिलता जो मेरे घर देख लेते
इश्क का तुम भी जिगर देख लेते
सुकून मिलता जो मेरे घर देख लेते
इश्क का तुम भी जिगर देख लेते
दूर तक फैल जाती खुशबू हमारी
मेरे प्यार करने का हुनर देख लेते
इन्तेहा ए इश्क का असर देख लेते
दैरो हरम - मंदिर मस्जिद
मेरे प्यार करने का हुनर देख लेते
इन्तेहा ए इश्क का असर देख लेते
दैरो हरम - मंदिर मस्जिद
डॉ सत्येन्द्र गुप्ता
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