सांप लिपटे देखे जब से आस्तीन पर
यकीन नहीं हुआ हमें अपने यकीन पर
यकीन नहीं हुआ हमें अपने यकीन पर
बेखबर हम थे मगर तुम तो वाकिफ़ थे
तुमने यक़ीं कर लिया उस कमीन पर
तुमने यक़ीं कर लिया उस कमीन पर
जलजलों का सिलसिला खत्म न हुआ
संभल कर चलना ज़रा इस जमीन पर
संभल कर चलना ज़रा इस जमीन पर
दिल की तमाम हसरतें दिल में रह गई
कैसा कहर बरपा था उस गमगीन पर
कैसा कहर बरपा था उस गमगीन पर
जिंदगी अब जाने किस जानिब ले जाए
जाने क्या क्या लिखा है इस जबीन पर
जाने क्या क्या लिखा है इस जबीन पर
सूखी हुई शाखें अभी तक भी शादाब हैं
कुछ फूल महक रहे हैं बंजर जमीन पर
कुछ फूल महक रहे हैं बंजर जमीन पर
आज आइना देखने में उनसे चूक हो गई
हर निगाह टिकी थी लिबास महीन पर
जबीन - माथे
शादाब - हरी भरी
हर निगाह टिकी थी लिबास महीन पर
जबीन - माथे
शादाब - हरी भरी