सब कहते हैं कि मंहगाई बढ़ रही है
मैं कहता हूँ वह वहीँ की वहीँ ही है।
इंसां की जां की कीमत सुपारी थी
इंसां की जां की कीमत सुपारी ही है।
दोस्ती निभाना बहुत ही जरूरी है
रिश्तेदारी तो बस दुनियादारी ही है।
एक का बने रहना मुमकिन नहीं
वफादारी हर पल बदल रही है ।
ईमान बचाना बहुत मुश्किल है
बोली सरे आम लग रही है ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
kamaal hai
ReplyDelete