हर दिल के तूफां को सैलाब कर दूंगा
मैं जब कईयों को बे नकाब कर दूंगा।
फिसाद करते हैं मिलके चुपके चुपके
मैं उन सबका जीना खराब कर दूंगा।
बदी पर अपनी उतर आऊँगा जब
बोतल में जो बंद है शराब कर दूंगा।
तुमने तहे दिल से पढ़ लिया मुझे तो
खुद को मैं खुली किताब कर दूंगा।
शहर में तेरे धरा क्या है कुछ तो बता
मेरे संग चल तुझे लाजवाब कर दूंगा।
हर सांस में महका करेगा खुशबु बन
मैं तुझे एक खिलता गुलाब कर दूंगा।
हर सांस में महका करेगा खुशबु बन
ReplyDeleteमैं तुझे एक खिलता गुलाब कर दूंगा।
बेहतरीन शायरी|
ब्रह्माण्ड