वक़्त लगता है फूल के खिल जाने में
वक़्त नहीं लगता टूटकर गिर जाने में ।
चाहकर भी उनसे मिल न सके कभी
फासला कुछ भी न था पास जाने में ।
उनसे मिलने की जरा सी ही कोशिश
तूफ़ान मचा गई सारे ज़माने में ।
दीवार रेत की थी दरकती ही चली गई
उम्र गुज़र गई थी उसको बनाने में ।
तूफ़ान कभी का आके चला गया था
हम लगे रहे रहे सबको मनाने में ।
भगदड़ सदा ही मचती रही यूँ ही
जिंदगी बीत गई रूठने मनाने में।
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