खुद अपने से ही शर्माए जा रहे हैं वो
मुझसे भी नज़रें चुराए जा रहें हैं वो।
नर्म हथेली पे हिना से नाम लिखके मेरा
महफ़िल में बहुत इतराए जा रहे हैं वो।
बार बार दिल पे हाथ रख के अपने
मुझे जैसे सीने से लगाये जा रहे हैं वो।
ओठों पे मेरे प्यार की सुर्खी लिए हुए
आहों भरे नगमें गुनगुनाये जा रहे हैं वो।
उन्हें इतना खुबसूरत कभी नहीं देखा
यौवन के गुलमोहर खिलाये जा रहे हैं वो।
vaah bahut badhiya prastuti...abhaar
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