बस्तियां क्यों लोग बसाते हैं
फिर बसाकर जहाँ छोड़ जाते हैं।
सुनसान हवेली में परिंदों को
शोर मचाने को छोड़ जाते हैं।
सूनी दीवार पर टंगे आईने
बेखटक मुंह पर बोलजाते हैं।
बदशक्ल हैं जो शक्ल देख
ख़ूबसूरत आईने तोड़ जाते हैं।
ऊंची उछालें समुंदर की देख
सब्र किनारे भी छोड़ जाते हैं।
किस किसको समझा ओगे तुम
लोग बहुत सवाल छोड़ जाते हैं ।
न वो हैं न नामोनिशान उनके
कुछ लोग निशान तोड़ जाते हैं।
मैंने आँखों में झांककर पूछा
लोग आंसू क्यों छोड़ जाते हैं।
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