सारी उम्र समुंदर खंगालते रहे
कोई मोती न मिला
गहराइयां नापते रहे।
अब उम्र के इस पडाव में ,
मोती मिला तो कमबख्त -
इस अंदाज़ में मिला ,
अपनी चमक से
आँख को बेनूर कर गया ,
आँख में उतर कर ,
मोतिया बिन्द बन गया ।
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