Sunday, June 29, 2014

उनके तेवरों से मौसम ए हाल जान लेते हैं
क्या है दिल में उन के हम पहचान लेते हैं।
आँखों में कुछ, दिल में कुछ, ज़ुबां पे कुछ
इतनी  शिद्दत  से मेरी  तो वह जान लेते हैं।
गुज़र जाती हैं सर पर से मेरे क़यामते  इतनी
जब रूठने की  मुझ से दिल में ठान लेते हैं।
नखरे हैं  उन में और नज़ाकतें भी हैं  इतनी
अदा से मेरे सब्र का वह  इम्तिहान लेते हैं।
डूबने को होता हूं जब भी आँखों में उनकी
आदतन वह चेहरे पर  दुपटटा तान लेते हैं।
देख कर के उन की  अदाओं के सिलसिले
ज़िंदगी तो ज़िंदा दिली है, हम मान लेते हैं।
लौ लग जाती है उससे  इस दिल की जब 
मीरा तड़पती है तो कृष्णा भी जान लेते हैं।
  

Sunday, June 22, 2014

खुलकर हँसे हुए इक ज़माना हो गया
दर्द ही अब तो आबो- दाना हो गया।
हवा नहीं आती  अब घर के अन्दर
भले ही मौसम बड़ा सुहाना हो गया।
ग़फ़लत में सच  निकल गया मुंह से
मुक़ाबिल सारा ही ज़माना हो  गया।
फ़िदा था मेरी  वो  हर एक बात पर
किस्सा ही अब तो पुराना  हो गया।
मांग ली उसने  तस्वीरें अपनी  सब
ख़त्म उनसे मिलना मिलाना हो गया।
नापी है  मैंने दर्द  की गहराई हाथ से
हद से ज़्यादा उसका ठिकाना हो गया
वो दिल बुझ गया जिस पर गुमान था
दिल ज़ख्मों का ताना बाना  हो गया।  
 

Thursday, June 19, 2014

तपते मौसम  की गर्म हवाएं मार डालेंगी
तूफ़ान न गुज़रा अगर सदाएं मार डालेंगी।
मोहब्बतें  मारेंगी न नफ़रतें मारेंगी  हमें
ख़ामोश निगाहों की सदाएं मार डालेंगी।
छोड़कर न जाएगी न जाने देगी ज़िंदगी
ज़िंदा रहने की हमें दुआएं  मार डालेंगी।
हर किसी से प्यार करना अपनी आदत है
क्या करें हमें हमारी वफ़ाएं मार डालेंगी।
खुलासा हाले दिल का होता तो अच्छा है
वरना उनके हंसने की अदाएं मार डालेंगी।
शहर से रौनक़े- वफ़ा ही चली गई अगर
दिल पे दर्ज़  उनकी ज़फ़ाएं मार डालेंगी।
सूरते हाल बिगड़ती चली गई अगर यूं ही
आंच देती ये दर्द की हवाएँ मार डालेंगी। 

Sunday, June 1, 2014

खुशबु की मानिंद बिखरते चले गए
हम उम्र के साथ निखरते चले गए। 
दिन में लड़ाते रहे  आँख सूरज  से
रात में चांदनी से लिपटते चले गए।
खुशबु वही, फूल वही, हम वही रहे
मिज़ाज वक़्त का बदलते चले गए।
उड़ाके रंग दिल से आँखों से होंठो से
क़रीब से ज़िंदगी के गुज़रते चले गए।
लाख बवंडर मचते रहे सीने में मगर
समंदर बनकर हम मचलते चले गए।
मोहब्बत को मुझ पर पूरा यक़ीन था
तालाब उसकी  पूरी करते चले गए।
अंगड़ाइयाँ आज़ भी महकती हैं मेरी
आँधियों को खबर ये करते चले गए।
वो तकते रहे  हसरत लिए हुए  हमें
हम शमां की तरह पिघलते चले गए।