Tuesday, October 18, 2011

उसको अपनी तकदीर कैसे दे दूं ?
अपने ख्वाबों की हीर कैसे दे दूं ?
रुख़ बदल लेगी पास उसके जाके
उसे मैं अपनी तस्वीर कैसे दे दूं ?
क़द मेरे क़द से बड़ा है जिसका
उसको अपनी शमशीर कैसे दे दूं ?
लहजे में नरमाहट नहीं है जिसके
गुनगुनाने की उसे पीर कैसे दे दूं ?
हवा न चले जिस मौसम में कभी
खुशबु की उसे तहरीर कैसे दे दूं ?
जिसने चूमा नहीं मेरे नसीब को
उसे मैं दर्द की लकीर कैसे दे दूं ?
वफ़ा की जिसको कद्र ही नहीं है
उसे इश्क की जागीर कैसे दे दूं ?

3 comments:

  1. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  2. वाह बहुत सुन्दर ख्याल्।

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  3. वाह! बहुत ही उम्दा...
    सादर बधाई,,,,

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